हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का खास महत्व है। इस दिन सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं तथा उत्तरायण होते हैं। इसलिए हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का दान-पुण्य के दृष्टिकोण से खास महत्व होता है। इस दिन के स्नान का बड़ा महत्व हैं। इलाहाबाद संगम पर स्नान के लिए लाखों लोग इस रोज उमड़ते हैं। लेकिन हर कोई श्रद्धालु इतनी लम्बी दूरी तय कर वहाँ पहुँचने में प्राय: असमर्थ रहता है। इसलिए श्रद्धालु अपने पास की स्थित नदी-तालाबों में इस दिन स्नान करते हैं। श्री मौनतीर्थ पीठ, गंगाघाट पर स्नान करने का बड़ा महत्व है। यहां पर स्नान करने से गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। गंगाघाट पर माँ शिप्रा पूर्व दिशा में बहती है। पूर्व वाहिनी शिप्रा इस जगह पर गंगा के समान हो जाती है। इसलिए यहाँ स्नान का महत्व गंगा स्नान के समान है।
मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व
हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का कई कारणों से विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान आशुतोष ने श्री विष्णु को आत्मज्ञान दिया था। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन सूर्य जब उत्तरायण होते हैं तब देवताओं का दिन शुरू होता है उससे पहले रात रहती है। साथ ही भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही अपनी देह त्यागी थी। साथ ही मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे चलते हुए सागर में जाकर मिल गयी थीं। इसलिए इस दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान का खास महत्व है। इन्हीं कारणों से हिन्दू धर्म में इस दिन गंगा स्नान या पवित्र नदियों में स्नान तथा दान का खास महत्व है।
मकर संक्रांति पर यह करें
मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान का खास महत्व है। लोग इस दिन गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान अवश्य करते हैं। लेकिन अगर आप गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो गंगाघाट पहुँच कर स्नान करें इससे आपको लाभ मिलेगा। स्नान करने के पश्चात पवित्र मन से भगवान सूर्य को जल अर्पित करें इससे सूर्य देव आपको आर्शीवाद देंगे। इसके बाद श्री मौनतीर्थ पीठ, गंगाघाट स्थित भगवान् गंगाधर सदाशिव जी, श्वेतार्क गणेश, श्री रघुनाथ मंदिर में भगवान् विष्णु अवतार श्रीराम और और माता लक्ष्मी सीता जी की पूजा करे। अपनी शक्ति अनुसार गरीबों व गौशाला में दान दें। दान में तिल और गुड़ से बने सामान, कपड़े और अन्न जरूरतमंद लोगों को दे सकते हैं। घर के बड़े लोगों का आशीर्वाद लें। तिजोरी में रखें आभूषणों को बाहर निकाल गंगा जल से धोएं और उन पर हल्दी लगाकर रखें। इसके अलावा घर में खिचड़ी बनाएं और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इन कार्यों से आपके जीवन में सुख तथा समृद्धि आएगी।- मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्त्व
मकर संक्रांति धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी खास होती है। इस दिन खिचड़ी का सेवन करने का भी वैज्ञानिक कारण है. खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का योग बनता है। लेकिन इसके अलावा भी कई सारे बदलाव आते हैं। मकर संक्रांति का संबंध केवल धर्म से ही नहीं बल्कि अन्य चीजों से भी जुड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का योग बनता है। लेकिन इसके अलावा भी कई सारे बदलाव आते हैं। मकर संक्रांति का संबंध केवल धर्म से ही नहीं बल्कि अन्य चीजों से भी जुड़ा है, जिसमें वैज्ञानिक चीजें भी शामिल है। मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इससे तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में ठंड का मौसम रहता है। इस मौसम में तिल-गुड़ का सेवन सेहत के लिए लाभदायक रहता है यह चिकित्सा विज्ञान भी कहता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह ऊर्जा सर्दी में शरीर की रक्षा रहती है। इस दिन खिचड़ी का सेवन करने का भी वैज्ञानिक कारण है। खिचड़ी पाचन को दुरुस्त रखती है। अदरक और मटर मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है। पुराण और विज्ञान दोनों में सूर्य की उत्तरायन स्थिति का अधिक महत्व है. सूर्य के उत्तरायन होने पर दिन बड़ा होता है इससे मनुष्य की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है. मानव प्रगति की ओर अग्रसर होता है. प्रकाश में वृद्धि के कारण मनुष्य की शक्ति में वृद्धि होती है। इस दिन से रात छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम होगा। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।